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शुक्रवार, 4 मई 2018

साये को अपनाया हमने

जिंदगी के हालात कुछ ऐसे हुए
शीशे के महल बनाए हमने

दिल नाजुक मोम सा है हमारा
तेज़ रोशनी से छिपाया हमने

दुनिया को ख़ुशी दिखाने को
चेहरे पे नकाब लगाए हमने

जब कोई हमदर्द करीब न पाया
अपने साये को अपनाया हमने
@मीना गुलियानी 

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 06 मई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. 1KOI TO GHAS DALE HMEN IS DUNIYA MEIN
    SHISHE KE MHL BNAAYE HMNE

    2APNE DIL KO DHOKHA DE KR
    KHOOB AKD KR DIKHAYA HMNE

    3 HMARAA DIL ROTA HI RHA
    HMN BNAVTI KHUSHI DIKHANE KO
    UNCHI YNCHI CHLANGE LGAII

    —4JB RONA PDA AKELE HMKO
    APNE AAP KO GLE LGAAYA HMNE-ASHOK
    AGR HM YH SB NA KREN TO GUJARA NHIN HOTA

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  3. आपकी रचना के लिए मेरा एक शेर

    इन साँझ की वीरानियों का क्या करें हम
    न ही तुम दृश्य न ही मेरा साया हमदम.

    कमाल लिखा है आपने.
    स्वागत है खैर  पर


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  4. वाह्ह..बहुत सुंदर रचना मीना जी।

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